बत्तीसवीं पुतली :- ( रानी रूपवती ) अंतिम कहानी,
बत्तीसवीं पुतली रानी रूपवती ने राजा भोज को सिंहासन पर बैठने की कोई रुचि नहीं दिखाते देखा तो उसे अचरज हुआ। उसने जानना चाहा कि र...
बत्तीसवीं पुतली रानी रूपवती ने राजा भोज को सिंहासन पर बैठने की कोई रुचि नहीं दिखाते देखा तो उसे अचरज हुआ। उसने जानना चाहा कि र...
इकत्तीसवीं पुतली :- ( कौशल्या) ने अपनी कथा इस प्रकार कही :- राजा विक्रमादित्य वृद्ध हो गए थे तथा अपने योगबल से उन्होंने य...
तीसवीं पुतली :- जयलक्ष्मी ने जो कथा कही वह इस प्रकार है :- राजा विक्रमादित्य जितने बड़े राजा थे उतने ही बड़े तपस्वी। उन्...
उन्तीसवीं पुतली - मानवती ने जो कथा सुनाई ओ इस प्रकार है :- राजा विक्रमादित्य वेश बदलकर रात में घूमा करते थे। ऐसे ही एक द...
अट्ठाईसवीं पुतली :- वैदेही ने अपनी कथा इस प्रकार कही :- एक बार राजा विक्रमादित्य अपने शयन कक्ष में गहरी निद्रा में ली...
सताइसवीं पुतली :- मलयवती पुतली ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है ,, विक्रमादित्य बड़े यशस्वी और प्रतापी राजा था और रा...
छब्बीसवीं पुतली :- मृगनयनी नामक पुतली ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है । राजा विक्रमादित्य न सिर्फ अपना राजकाज पूरे मनो...
The Story of Two Swans ;- दो हंसों की कहानी मानसरोवर, आज जो चीन में स्थित है, कभी ठमानस-सरोवर' के नाम से विश्वविख्यात था और उसमें रह...
Copyright (c) 2020 BEST purani kahaniya All Right Reseved