सत्रहवीं पुतली :- विद्यावती ( विक्रमादित्य की परोपकार तथा त्याग की भावना )
सत्रहवीं पुतली :- विद्यावती नामक ने जो कथा कही वह इस प्रकार हैै महाराजा विक्रमादित्य की प्रजा को कोई कमी नहीं थीं। सभी...
सत्रहवीं पुतली :- विद्यावती नामक ने जो कथा कही वह इस प्रकार हैै महाराजा विक्रमादित्य की प्रजा को कोई कमी नहीं थीं। सभी...
सोलहवीं पुतली :- सत्यवती ने जो कथा कही वह इस प्रकार हैै ! राजा विक्रमादित्य के शासन काल में उज्जैन नगरी का यश चारों ओर फैला हु...
पन्द्रहवीं पुतली - सुंदरवती की कथा इस प्रकार हैै ! राजा विक्रमादित्य के शासन काल में उज्जैन राज्य की समृद्धि आकाश छ...
चौदहवीं पुतली - सुनयना ने जो कथा की वह इस प्रकार है । राजा विक्रमादित्य सारे नृपोचित गुणों के सागर थे। उन जैसा न्यायप्रिय...
तेरहवीं पुतली - कीर्तिमती ने इस प्रकार कथा कही- एक बार राजा विक्रमादित्य ने एक महाभोज का आयोजन किया। उस भोज में असंख...
बारहवी पुतली - पद्मावती उस सिंहासन की बारहवीं पुतली थी उसने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है एक दिन रात के समय राजा विक्रमादि...
ग्यारहवीं पुतली द्वारा कही कथा इस प्रकार है विक्रमादित्य बहुत बड़े प्रजापालक थे। उन्हें हमेंशा अपनी प्रजा की सुख-समृद्धि की ह...
दसवीं पुतली - प्रभावती की इस प्रकार है एक बार राजा विक्रमादित्य शिकार खेलते-खेलते अपने सैनिकों की टोली से काफी आगे निकलकर ...
एक बार राजा विक्रमादित्य ने राज्य और प्रजा की सुख-समृद्धि के लिए एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया। कई दिनों तक यज्ञ चलता रहा। एक दिन...
आठवीं पुतली पुष्पवती की कथा इस प्रकार है- राजा विक्रमादित्य अद्भुत कला-पारखी थे। उन्हें श्रेष्ठ कलाकृतियों से अपने महल को सजान...
The Story of Two Swans ;- दो हंसों की कहानी मानसरोवर, आज जो चीन में स्थित है, कभी ठमानस-सरोवर' के नाम से विश्वविख्यात था और उसमें रह...
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