इक्कीसवीं पुतली : - चन्द्रज्योति ( विक्रमादित्य और दुर्लभ ख्वांग बूटी )
इक्कीसवीं पुतली :- चन्द्रज्योति नामक इक्कीसवीं पुतली की कथा इस प्रकार है ! एक बार विक्रमादित्य एक यज्ञ करने की तैयार...
इक्कीसवीं पुतली :- चन्द्रज्योति नामक इक्कीसवीं पुतली की कथा इस प्रकार है ! एक बार विक्रमादित्य एक यज्ञ करने की तैयार...
बीसवीं पुतली : - ज्ञानवती ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है ! राजा विक्रमादित्य सच्चे ज्ञान के बहुत बड़े पारखी थे तथा...
उन्नीसवी पुतली - रूपरेखा नामक उन्नीसवी पुतली ने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है: राजा विक्रमादित्य के दरबार में लोग अपनी ...
अठारहवीं पुतली - तारामती की कथा इस प्रकार है राजा विक्रमादित्य की गुणग्राहिता का कोई जवाब नहीं था। वे विद्वानों तथ...
सत्रहवीं पुतली :- विद्यावती नामक ने जो कथा कही वह इस प्रकार हैै महाराजा विक्रमादित्य की प्रजा को कोई कमी नहीं थीं। सभी...
सोलहवीं पुतली :- सत्यवती ने जो कथा कही वह इस प्रकार हैै ! राजा विक्रमादित्य के शासन काल में उज्जैन नगरी का यश चारों ओर फैला हु...
पन्द्रहवीं पुतली - सुंदरवती की कथा इस प्रकार हैै ! राजा विक्रमादित्य के शासन काल में उज्जैन राज्य की समृद्धि आकाश छ...
चौदहवीं पुतली - सुनयना ने जो कथा की वह इस प्रकार है । राजा विक्रमादित्य सारे नृपोचित गुणों के सागर थे। उन जैसा न्यायप्रिय...
तेरहवीं पुतली - कीर्तिमती ने इस प्रकार कथा कही- एक बार राजा विक्रमादित्य ने एक महाभोज का आयोजन किया। उस भोज में असंख...
बारहवी पुतली - पद्मावती उस सिंहासन की बारहवीं पुतली थी उसने जो कथा सुनाई वह इस प्रकार है एक दिन रात के समय राजा विक्रमादि...
The Story of Two Swans ;- दो हंसों की कहानी मानसरोवर, आज जो चीन में स्थित है, कभी ठमानस-सरोवर' के नाम से विश्वविख्यात था और उसमें रह...
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