वेताल पच्चीसी :- ग्यारवा व्रतांत ( सबसे ज्यादा कोमल कौन ? )
गौड़ देश में वर्धमान नाम का एक नगर था, जिसमें गुणशेखर नाम का राजा राज्य करता था।
उसके यहां अभयचंद्र नाम का दीवान था। उस दीवान के समझाने से राजा ने अपने राज्य में शिव और विष्णु की पूजा, गोदान, भूदान, पिंड दान आदि सब बंद कर दिए।नगर में डोंडी पिटवा दी कि जो कोई यह काम करेगा, उसका सबकुछ छीन कर उसे नगर से निकाल दिया जाएगा।
एक दिन दीवान ने कहा, ‘महाराज, अगर कोई किसी को दुख पहुंचाता है और उसके प्राण लेता है, तो पाप से उसका जन्म-मरण नहीं छूटता। वह बार-बार जन्म लेता और मरता है। इसलिए मनुष्य का जन्म पाकर धर्म को बढ़ाना चाहिए। आदमी को हाथी से लेकर चींटी तक सबकी रक्षा करनी चाहिए। जो लोग दूसरों के दुख को नहीं समझते और उन्हें सताते हैं, उनकी इस पृथ्वी पर उम्र घटती जाती है और वे लूले-लंगड़े, काने, बौने होकर जन्म लेते हैं।’
राजा ने कहा ‘ठीक है।’ अब दीवान जैसे कहता, राजा वैसे ही करता।
दैवयोग से एक दिन राजा मर गया। उसकी जगह उसका बेटा धर्मराज गद्दी पर बैठा। एक दिन उसने किसी बात पर नाराज होकर दीवान को नगर से बाहर निकलवा दिया।
कुछ दिन बाद, एक बार वसंत ऋतु में वह इन्दुलेखा, तारावली और मृगांकवती, इन तीनों रानियों को लेकर बाग में गया।
वहां जब उसने इन्दुलेखा के बाल पकड़े, तो उसके कान में लगा हुआ कमल उसकी जांघ पर गिर गया। कमल के गिरते ही उसकी जांघ में घाव हो गया और वह बेहोश हो गई। बहुत इलाज हुआ, तब वह ठीक हुई।
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इसके बाद एक दिन की बात है कि तारावली ऊपर खुले में सो रही थी। चांद निकला। जैसे ही उसकी चांदनी तारावली के शरीर पर पड़ी, फफोले उठ आए। कई दिन के इलाज के बाद उसे आराम हुआ।
इसके बाद एक दिन किसी के घर में मूसलों से धान कूटने की आवाज हुई। सुनते ही मृगांकवती के हाथों में छाले पड़ गए। इलाज हुआ, तब जाकर ठीक हुए।
इतनी कथा सुनाकर बेताल ने पूछा, ‘महाराज, बताइए, उन तीनों में सबसे ज्यादा कोमल कौन थी?’
राजा ने कहा, ‘मृगांकवती, क्योंकि पहली दो के घाव और छाले कमल और चांदनी के छूने से हुए थे। तीसरी ने मूसल को छुआ भी नहीं और छाले पड़ गए। वही सबसे अधिक सुकुमार हुई।’
राजा के इतना कहते ही वेताल नौ-दो ग्यारह हो गया।
राजा बेचारा फिर मसान में गया और जब वह उसे लेकर चला तो उसने एक और कहानी सुनाई।
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