वेताल पच्चीसी :- नौवा व्रतांत ( सर्वश्रेष्ठ वर कौन ? )
चम्मापुर नाम का एक नगर था, जिसमें चम्पकेश्वर नाम का राजा राज्य करता था। उसके सुलोचना नाम की रानी थी और त्रिभुवनसुंदरी नाम की लड़की। राजकुमारी यथा नाम तथा गुण थी।
जब वह बड़ी हुई तो उसका रूप और निखर गया। राजा और रानी को उसके विवाह की चिंता हुई। चारों ओर इसकी खबर फैल गई। बहुत-से राजाओं ने अपनी-अपनी तस्वीरें बनवा कर भेजी, पर राजकुमारी ने किसी को भी पसंद नहीं किया। राजा ने कहा, ‘बेटी, कहो तो स्वयंवर करूं?’ लेकिन वह राजी नहीं हुई।
आखिर राजा ने तय किया कि वह उसका विवाह उस आदमी के साथ करेगा, जो रूप, बल और ज्ञान, इन तीनों में बढ़ा-चढ़ा होगा।
"वेताल पच्चीसी" की सभी कहानिया एक ही जगह click करे --
एक दिन राजा के पास चार देश के चार वर आए।
एक ने कहा, ‘मैं एक कपड़ा बनाकर पांच लाख में बेचता हूं, एक लाख देवता को चढ़ाता हूं, एक लाख अपने अंग लगाता हूं, एक लाख स्त्री के लिए रखता हूं और एक लाख से अपने खाने-पीने का खर्च चलाता हूं। इस विद्या को और कोई नहीं जानता।’
दूसरा बोला, ‘मैं जल-थल के पशुओं की भाषा जानता हूं।’
तीसरे ने कहा, ‘मैं इतना शास्त्र पढ़ा हूं कि मेरा कोई मुकाबला नहीं कर सकता।’
चौथे ने कहा, ‘मैं शब्दवेधी तीर चलाना जानता हूं। ‘
चारों की बातें सुनकर राजा सोच में पड़ गया। वे सुंदरता में भी एक-से-एक बढ़कर थे। उसने राजकुमारी को बुलाकर उनके गुण और रूप का वर्णन किया, पर वह चुप रही।
इतना कहकर बेताल बोला, ‘राजन्, तुम बताओ कि राजकुमारी किसको मिलनी चाहिए?’
राजा बोला, ‘जो कपड़ा बनाकर बेचता है, वह शूद्र है।
जो पशुओं की भाषा जानता है, वह ज्ञानी है।
जो शास्त्र पढ़ा है, ब्राह्मण है; पर जो शब्दवेधी तीर चलाना जानता है, वह राजकुमारी का सजातीय है और उसके योग्य है। राजकुमारी उसी को मिलनी चाहिए।’
राजा के इतना कहते ही वेताल गायब हो गया। राजा बेचारा वापस लौटा और उसे लेकर चला तो उसने दसवीं कहानी सुनाई।
कोई टिप्पणी नहीं