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    अकबर के दरबार के नवरत्न (Nine Jewels of Emperor Akabar's Court) अकबर बीरबल :-


    जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर भारत का महानतम मुग़ल शंहशाह बादशाह था। जिसने मुग़ल शक्ति का भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों में विस्तार किया। अकबर को अकबर-ऐ-आज़म, शहंशाह अकबर तथा महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता है।
    भारत में अकबर मुग़ल  सल्तनत  के एक महान  सम्राट थे ,
    उन्होंने १५६०- १६०५ के दौरान भारत पर शासन किया, अकबर खुद तो पढ़े लिखे नहीं थे लेकिन कला के पारखी थे, इसलिए उन्होंने अपने दरबार  में कई  विद्वानों को नियुक्त किया था ,  इन विद्वानों  में नौ विद्वान बहुत प्रसिद्द  थे और वे अकबर के दरबार  के नवरत्न कहे जाते थे
    • अबुलफज़ल (1551-1602 ) ने अकबर के काल को क़लमबद्ध किया था। उसने अकबरनामा और आइना-ए-अकबरी की भी रचना की थी। 
    • फ़ैज़ी (1547-1595) अबुल फ़ज़ल का भाई था। वह फ़ारसी में कविता करता था। राजा अकबर ने उसे अपने बेटे के गणित शिक्षक के पद पर नियुक्त किया था। 
    • मिंया तानसेन अकबर के दरबार में गायक थे। वह कविता भी लिखा करते थे। 
    • राजा बीरबल (1528-1583) दरबार के विदूषक और अकबर के सलाहकार थे।
    • राजा टोडरमल अकबर के वित्त मन्त्री थे। 
    • राजा मान सिंह आम्बेर (आमेर, जयपुर) के कच्छवाहा राजपूत राजा थे। वह अकबर की सेना के प्रधान सेनापति थे।
    • अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना एक कवि थे और अकबर के संरक्षक बैरम ख़ान के बेटे थे। 
    • हक़ीम हुमाम अकबर के सलाहकार थे। 
    • मुल्ला दो पिआज़ा अकबर के सलाहकार थे। अकबर के दरबार को सुशोभित करने वाले 9 रत्न थे ,
    इन सभी दरबारियों में बीरबल बहुत प्रसिद्ध हुए ,

    बीरबल विशेष :-

    नवरत्नों में सर्वाधिक प्रसिद्ध बीरबल का जन्म कालपी में 1528 ई. में ब्राह्मण वंश में हुआ था। बीरबल के बचपन का नाम 'महेशदास' था। यह अकबर के बहुत ही नज़दीक था। उसकी छवि अकबर के दरबार में एक कुशल वक्ता, कहानीकार एवं कवि की थी। अकबर ने उसकी योग्यता से प्रभावित होकर उसे (बीरबल) कविराज एवं राजा की उपाधि प्रदान की, साथ ही 2000 का मनसब भी प्रदान किया। बीरबल पहला एवं अन्तिम हिन्दू राजा था, जिसने दीन-ए-इलाही धर्म को स्वीकार किया था। अकबर ने बीरबल को नगरकोट, कांगड़ा एवं कालिंजर में जागीरें प्रदान की थीं। 1583 ई. में बीरबल को न्याय विभाग का सर्वोच्च अधिकारी बनाया गया। 1586 ई. में युसुफ़जइयों के विद्रोह को दबाने के लिए गये बीरबल की हत्या कर दी गई। अबुल फ़ज़ल एवं बदायूंनी के अनुसार-अकबर को सभी अमीरों से अधिक बीरबल की मृत्यु पर शोक पहुँचा था।

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