गौरैया और बन्दर ( The Sparrow And The Monkey ) :- पंचतंत्र
" बड़े बुजुर्गों ने इसीलिए ही कहा है कि हर किसी को उपदेश नहीं देना चाहिये ,, बुद्धिमान् को दी हुई शिक्षा का ही फल होता है,, मूर्ख को दी हुई शिक्षा का फल कई बार उल्टा निकल आता है "
इसलिए कहा गया है शिक्षा उसी को देनी चाहिए जो उसका सही पात्र हो ... पड़े इस कहानी को ...
किसी जंगल के एक घने वृक्ष की शाखाओं पर गोरैया का एक जोड़ा रहता था । अपने घोंसले में दोनों बड़े सुख से रहते थे ।
सर्दियों का मौसम था । एक दिन हेमन्त की ठंडी हवा चलने लगी और साथ में बूंदा-बांदी भी शुरु हो गई । उस समय एक बन्दर बर्फीली हवा और बरसात से ठिठुरता हुआ उस वृक्ष की शाखा पर आ बैठा।
जाड़े के मारे उसके दांत कटकटा रहे थे । उसे देखकर गोरैया चिड़िया ने कहा----"अरे ! तुम कौन हो ? देखने में तो तुम्हारा चेहरा आदमियों का सा है; हाथ-पैर भी हैं तुम्हारे । फिर भी तुम यहाँ बैठे हो, घर बनाकर क्यों नहीं रहते ?"
बन्दर बोला ----"अरी ! तुम से चुप नहीं रहा जाता ? तू अपना काम कर । मेरा उपहास क्यों करती है ?"
गोरैया फिर भी कुछ कहती गई । वह चिड़ गया । क्रोध में आकर उसने गोरैया के उस घोंसले को तोड़-फोड़ डाला जिसमें गोरैया का जोड़ा सुख से रहता था ।
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