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    यह दौलत किस काम की (What is the use of this wealth) आध्यात्मिक कथा :-


    श्यामगढ़ में एक अमीर व्यक्ति रहता था उसे अपनी अमीरी पर बहुत घमंड था एक दिन वह अपने बेटे को साथ लेकर एक गरीब गाँव मे लेकर गया उसे दिखने के लिए की दुनिया कितनी गरीबी है उसने पूरे गाँव में अपने बेटे को घुमाया इसके बाद जब घर कि और गाड़ी में बैठकर जाने लगे तब रास्ते मे पिता ने बेटे से कहाँ तुमने देखा बेटे कि दुनिया में कितनी गरीबी है यह सुनकर बेटा बोला हाँ पिताजी मैं समझ गया हूँ कि कौन कितना गरीब है मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ पिताजी कि आपने मुझे यहाँ लाकर इस हकीकत से रूबरू करवाया वरना मैं तो अब तक गलतफहमी मे जी रहा था ।
    यह सुनकर पिता अभिमान से फूल गए उसने बेटे से पूछा अच्छा बताओ बेटा तुमने यहाँ क्या देखा और उससे तुम क्या समझे इस पर बेटे ने जवाब दिया मैंने यहाँ आकर देखा कि लोग हमारे मुकाबले कितने सुखी व संपन्न है हमारे पास एक ही पालतू कुत्ता है उनके पास चार पाँच है हमारे आवासीय परिसर मे एक स्विमिंग पूल है पर इनके घर के आसपास तो पूरी नदी है हमारे घर व गार्डन महँगे आयातित लैंपो से रोशन होते है पर यहाँ तो आसमान में लाखों तारे बागो में मंडराते जुगनू उनकी रात को उजाले से भर देते है हमारे पास रहने के लिए छोटी सी जमीन है पर इनके पास तो विशाल खेत खलियान है हम अपने कामकाज के लिए नौकरो के भरोसे रहते है पर ये तो खुद ही सारा काम करते है और एक दूसरे कि मदद करते है काम में हमें अपना भोजन खरीदना पड़ता है पर इसके लिए भी ये लोग किसी के मोहताज नही है ये अन्न खुद ही उगाते है और खाते है हम अपनी संपत्ति और खुद को बचाने के लिए बड़ी बड़ी दीवारें बनाते है पर इनके पास सुरक्षा के लिए इनके पड़ोसी है दोस्त है रिश्तेदार है बेटे के मुँह से ये बात सुनकर पिता के पास अपने बेटे किन बातों का कोई जवाब नही था आखिर में बेटा बोला एक बार फिर पिताजी आपका बहुत बहुत धन्यवाद मुझे यहा ला कर ये अहसास कराने के लिए की हम गरीब है ।।

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