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    मेंढक और बैल की कहानी (The Frog And The Ox Story In Hindi) :- पंचतंत्र


    बहुत पहले की बात है। किसी घने जंगल में एक तालाब था, जिसमें ढेर सारे मेंढक रहते थे। उन्हीं में एक मेंढक अपने तीन बच्चों के साथ रहता था। वो सभी तालाब में ही रहते और खाते-पीते थे। उस मेंढक की सेहत अच्छी-खासी हो चुकी थी और वो उस तालाब में सबसे बड़ा मेंढक बन चुका था। उसके बच्चे उसे देखकर काफी खुश होते थे। उसके बच्चों को लगता कि उनके पिता ही दुनिया में सबसे बड़े और बलवान हैं। मेंढक भी अपने बच्चों को अपने बारे में झूठी कहानियां सुनाता और उनके सामने शक्तिशाली होने का दिखावा करता था। उस मेंढक को अपने शारीरिक कद-काठी पर बहुत घमंड था। ऐसे ही दिन बीतते गए।

    एक दिन मेंढक के बच्चे खेलते-खेलते तालाब से बाहर चले गए। वो पास के एक गांव पहुंचे। वहां उन्होंने एक बैल को देखा और उसे देखते ही उनकी आंखें खुली की खुली रह गईं। उन्होंने कभी इतना बड़ा जानवर नहीं देखा था। वो बैल को देखकर डर गए और बहुत ज्यादा हैरान हो गए। वो बैल को देखे जा रहे थे और बैल मजे से घास खा रहा था। घास खाते-खाते बैल ने जोर से हुंकार लगाई। बस फिर क्या था, मेंढक के तीनों बच्चे डर के मारे भागकर तालाब में अपने पिता के पास आ गए। पिता ने उनके डर का कारण पूछा। उन तीनों ने पिता को बताया कि उन्होंने उनसे भी विशाल और ताकतवर जीव को देखा है।

    उन्हें लगता है वो दुनिया का सबसे बड़ा और शक्तिशाली जीव है। यह सुनते ही मेंढक के अहंकार को ठेस पहुंची। उसने एक लंबी सांस भरकर खुद को फुला लिया और कहा ‘क्या वो उससे भी बड़ा जीव था?’ उसके बच्चों ने कहा, ‘हां, वो तो आप से भी बड़ा जीव था।’

    मेंढक को गुस्सा आ गया, उसने और ज्यादा सांस भरकर खुद को फुलाया और पूछा, ‘क्या अब भी वो जीव बड़ा था?’ बच्चों ने कहा, ‘ ये तो कुछ भी नहीं, वो आपसे कई गुना बड़ा था।’ मेंढक से यह सुना नहीं गया, वह सांस फुला-फुलाकर खुद को गुब्बारे की तरह फुलाता चला गया। फिर एक वक्त आया जब उसका शरीर पूरी तरह फुल गया और वो फट गया और अहंकार के चक्कर में अपनी जान से हाथ धो बैठा।

    कहानी से शिक्षा :- कभी भी किसी बात का घमंड नहीं करना चाहिए। घमंड करने से खुद का ही नुकसान होता है।

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