बिल्ली के गले में घंटी की कहानी (The story of the bell around the cat's neck) :- पंचतंत्र
एक बहुत बड़े घर में सैकड़ों चूहे रहते थे। वो अपना पेट भरने के लिए पूरे घर में टहलते थे। सभी चूहे हंसी-खुशी अपना पेट भर लिया करते थे। उनकी जिंदगी बड़े आराम से कट रही थी। अचानक एक दिन उस घर में शिकार करने के लिए, कहीं से एक बिल्ली आ गई।
बिल्ली को देखते ही सारे चूहे तेजी से अपने-अपने बिल में छिप गए। उसने देखा कि उस घर में तो बहुत सारे चूहे हैं। उसने यहीं रहने का मन बना लिया। अब बिल्ली उसी घर में रहने लगी। जब भी उसे भूख लगती, तो बिल्ली अंधेरे में जाकर छिप जाती थी। जब चूहे बाहर निकलते, तो बिल्ली उन पर झपटा मारकर खा जाती थी।
ऐसा रोज होने लगा। धीरे-धीरे चूहों की संख्या कम होने लगी थी। अब चूहों में दहशत फैल गई थी।
इस समस्या का हल निकालने के लिए चूहों ने एक सभा बुलाई। सभा में सभी चूहे मौजूद थे। सभी ने कई सुझाव दिए, ताकि बिल्ली के आतंक को रोका जा सके और उसका शिकार बनने से चूहे बचे रहें। किसी का सुझाव ऐसा नहीं था, जिससे बिल्ली का आंतक रोका जा सके। सभी चूहे बैठे ही थे कि अचानक से एक बूढ़े चूहे ने सुझाव दिया।
उसने कहा कि हम बिल्ली से बच सकते हैं, लेकिन उसके लिए एक घंटी और धागे की जरूरत पड़ेगी। बूढ़े चूहे ने कहा कि हम बिल्ली के गले में घंटी बांध देंगे और जब वह आएगी, तो घंटी बजने से हमें खतरे के बारे में पता चल जाएगा। खतरा जानने के बाद हम लोग भाग कर अपनी बिल में छिप जाएंगे।
इससे हम लोग बिल्ली का शिकार बनने से बचे रह सकते हैं। सभी चूहे खुशी से झूमने लगे। सबने नाचना शुरू कर दिया और खुश होने लगे कि अब तो वह बिल्ली के खतरे से बचे रहेंगे। सभी चूहे खुशियां मना ही रहे थे कि अचानक से एक अनुभवी चूहा उठ खड़ा हुआ।
उसने सभी चूहों को जोर से डांट लगाई और कहा कि चुप रहो, तुम सब मूर्ख हाे। उसके बाद अनुभवी चूहे ने जो कहा, वह सुनकर सभी का मुंह उतर गया। चूहे ने कहा कि वो सब तो ठीक है, लेकिन जब तक बिल्ली के गले में घंटी नहीं बंध जाती, तब तक हम सुरक्षित नहीं हैं। अब तुम सब पहले ये बताओ कि आखिर बिल्ली के गले में घंटी बांधेगा कौन? सभी चूहे एक दूसरे की तरफ देखने लगे। सभा में सन्नाटा छा गया था। सभी चूहे निराश हो गए। इसी बीच बिल्ले के आने की आहट पाते ही सभी चूहे भागकर अपने-अपने बिल में जाकर छिप गए।
कहानी से सीख :- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सिर्फ योजना बना लेने भर से ही आप कामयाब नहीं हो जाते। उस योजना को लागू करने के बारे में भी सोचना चाहिए। उससे पहले जश्न मनाना बेकार है।
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