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    मूर्ख बकरी की कहानी (the story of the foolish goat) :- पंचतंत्र

     


    एक जंगल में दो बकरियां रहती थीं। दोनों जंगल के अलग-अलग हिस्सों में घास चरने जाती थी ।

    उस जंगल में एक नदी भी बहती थी, जिसके बीच में एक बहुत छोटा सा  पुल था।

    इस पुल से एक बार में एक ही जानवर गुजर सकता था। एक दिन इन दोनों बकरियों के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। एक दिन दोनों बकरियां घास चरते हुए नदी पर पहुंच गईं।

    वे दोनों नदी पार करके जंगल के दूसरे हिस्से में जाना चाहती थी ।

    अब दोनों बकरियां उसी समय नदी के पुल पर थीं। पुल की चौड़ाई कम होने के कारण इस पुल से एक बार में एक ही बकरी गुजर सकती थी।

    लेकिन दोनों में से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं था। इस पर एक बकरी ने कहा ‘सुनो, पहले मुझे जाने दो, तुम मेरे पीछे पुल पार करो।

    उसी समय दूसरी बकरी ने उत्तर दिया, ‘नहीं, पहले मुझे पुल पार करने दो, फिर बाद में तुम पुल को पार करना समझी ।

    यह बोलते हुए दोनों बकरियां पुल के बीच में पहुंच गईं। दोनों एक दूसरे से सहमत नहीं थे।

    अब बकरियों के बीच खींचतान शुरू हो गई है। बकरी ने कहा, ‘मैं पहले पुल के ऊपर से आयी थी । इसलिए मैं पहले पुल को पार करूंगी ।

    ‘ तब दूसरी बकरी ने भी तुरंत उत्तर दिया, ‘नहीं, मैं पहले पुल के ऊपर से आयी थी।

    इसलिए पहले पुल को पार करूंगी’। उन दोनों बकरियों में झगड़ा चल रहा था। इन दोनों बकरियों को यह बिल्कुल भी याद नहीं रहा।

    कि वे चौड़े पुल पर कितने नीचे खड़ी थी । लड़ते-लड़ते दोनों बकरियां अचानक नदी में गिर गईं। नदी बहुत गहरी थी और उसका बहाव भी तेज था, जिससे दोनों बकरियां उस नदी में डूब कर मर गईं।


    कहानी से सीख :- संघर्ष से कभी किसी समस्या का समाधान नहीं होता, इसके विपरीत यह सभी को नुकसान पहुंचाता है।

    इसलिए ऐसी स्थिति में शांत मन से काम करना चाहिए।

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