दुष्ट जादूगर और परीयां (Evil magicians and fairies) परियों की कहानिया :-
एक नगर में एक दुष्ट जादूगर रहता था। उसे अपने काले जादू पर बहुत घमंड था। वह पुरे दुनिया से सच को हटाकर अपराध और असत्य को फैलाना चाहता था।
इसलिए वह सत्य का साथ देने वालों को परेशान करता और मार देता था। इससे उसे ताकत मिलती थी। एक दिन वह अपने गुरु से मिलने गया। वहाँ उसके गुरु ने उसे डांटते हुए कहा, ” तुम ऐसे कभी भी अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाओगे। ऐसे छोटे – मोटे पाप से कैसे धरती पर अँधेरा फैलाओगे। ”
इस पर वह दुष्ट जादूगर बोला, ” गुरुदेव ! आप ही बताएं अब मैं क्या करूँ? आप जो भी बोलेंगे मैं करूंगा। इस धरती पर अँधेरे का साम्राज्य होगा। ”
तब गुरु ने कहा, ” सुदूर आकाश में परीलोक है। वहाँ से परियां धरती पर आकर बच्चों में अच्छाइयां फैलाती हैं और यही बच्चे बड़े होकर अच्छे इंसान बनते हैं। अतः तुम्हे परीलोक को ही ख़त्म करना होगा। ”
” जैसी आपकी आज्ञा गुरुवर। मैं परीलोक को ख़त्म कर दूंगा। वहाँ भी अन्धेरा फैलेगा ” उस जादूगर ने कहा और उसके बाद वह अपने उड़नखटोले से परीलोक पहुंचा और तबाही मचानी शुरू कर दी।
वह रोज परियों को ढूंढता और उनकी जादुई छड़ी तथा शक्ति को छीन कर उन्हें एक पिंजड़े में बंद कर उन्हें एक गुफा में छुपा देता। धीरे – धीरे परीलोक से परियां कम होने लगीं।
इससे परीलोक में हाहाकार मच गया। रानीपरी की अध्यक्षता में तत्काल ही मीटिंग बुलाई गयी। जिसमें लाल परी, गुलाबी परी जैसी कई सारी परियां शामिल हुई।
उस मीटिंग में इस घटना पर गंभीर चर्चा हुई और उसके बाद रानीपरी ने कुछ गुप्तचर परियों को इस घटना के बारे में पता लगाने को कहा और सबको सतर्क रहने के लिए भी कहा।
कुछ दिनों में ही गुप्तचर जासूस परियों ने काले जादूगर को परियों की शक्तियां छीनते और उन्हें कैद कर ले जाते देख लिया और छुपकर उसका पीछा किया और उसके बाद उन्होंने पूरी बात रानीपरी को विस्तार से बताई।
रानीपरी ने तत्काल ही दुबारा मीटिंग बुलाई और उसमें सैन्य परियां भी शामिल हुईं। उसके बाद पुरे ही परीलोक में आपातकाल की घोषणा कर दी गई और लाल परी तथा गुलाबी परी और गुप्तचर परियो के साथ एक सैन्य टुकड़ी को उस काले जादूगर को पकड़ने की जिम्मेदारी दी गयी।
गुप्तचर परियों के माद्यम से बाकी परियां और सैन्य टुकड़ी उस गुफा तक पहुँच गयीं जहां पर काले जादूगर ने बाकी परियों को छुपा रखा था। वहाँ उस गुफा की रक्षा के लिए उसने बहुत सारे रक्षक तैनात कर रखे थे।
परियों की सेना ने अचानक से उनपर आक्रमण किया। दोनों तरफ से भीषण युद्ध हुआ। तमाम तरह के अस्त्र – शस्त्र का इस्तेमाल हुआ, लेकिन कुछ देर में परियों ने उन रक्षकों को मार गिराया और बाकी परियों को भी आज़ाद करा दिया।
लेकिन वह जैसे ही वहाँ से निकलने को हुईं उतने में ही वह काला जादूगर अपने गुरु के साथ वहाँ आ पहुंचा। वह अपने गुरु को वहाँ कैद परियों को दिखाने के लिए लाया था लेकिन उन्हें आज़ाद देख बहुत क्रोधित हुआ।
उसने अपनी काली शक्ति से वहाँ अन्धेरा कर दिया और जोर से हंसने लगा, लेकिन अगले ही क्षण लाल परी ने अपनी जादुई छड़ी से फिर से उजाला कर दिया।
अब काला जादूगर बहुत क्रोधित हुआ। उसने अपने कई सारे रूप बना लिए और चारो तरफ से हमले करने लगा। परी और उसकी सेना उसका जवाब दे रही थी, लेकिन उसकी काली शक्ति के आगे वे कमजोर पद रही थीं।
यह देखकर काले जादूगर का गुरु भी आक्रमण कर दिया। अब तो परियां और भी कमजोर होने लगीं। उन्होंने एक गुप्त सन्देश रानी परी को भेजा। कुछ ही क्षण में वहाँ एक तेज सफ़ेद धुएं का तूफ़ान उठा।
यह देख परियां मुस्कुराने लगीं और काला जादूगर तथा उसका गुरु उस तरफ आश्चर्य से देखने लगा। जैसे ही तूफ़ान शांत हुआ उसमें से एक बलशाली राजकुमार प्रकट हुआ।
वह परीलोक का मुख्य सेनापति था। उसने पल भर में ही काले जादूगर की माया सेना को समाप्त कर दिया। उसके बाद उसने अक्केले ही काले जादूगर और उसके गुरु के साथ युद्ध किया।
कुछ देर युद्ध के बाद उस राजकुमार ने काले जादूगर और उसके गुरु को पत्थर में तब्दील कर दिया और उन्हें उसी गुफा में कैद कर दिया जहां उसने उन परियों को कैद किया था।
इस तरह फिर से एक बार अच्छाई की जीत हुई और बुराई की हार हुई। इसिलिये कहा गया है सत्य कभी पराजित नहीं होता।
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