परी और थंबलीना की कहानी (Fairy and thamblina story) परियों की कहानियां :-
थंबलीना की कहानी
बहुत समय पहले की बात है। एक महिला अकेली रहती थी, उसकी कोई संतान नहीं थी। वह बेहद निराश हो गयी थी, तभी उसे अपनी परी दोस्त का ख्याल आया।
वह उसके पास गयी और पूरी बात बताई। उस परी ने उसे एक बीज दिया और कहा घर जाकर इसे गमले में लगा देना। उस महिला ने वैसा ही किया।
जब वह सुबह सोकर उठी तो उस बीज से सुन्दर जादुई फूल टूलिप उग चुका था। टूलिप एक पंखुड़ी अधखुली थी। उस महिला ने उस पंखुड़ी को चूमा तो वह पूरी तरह खुल गयी।
उसमें से एक बेहद सुंदर और प्यारी से लड़की निकली। वो लड़की बहुत ही नाज़ुक थी, एकदम फूल की तरह और वो इतनी छोटी थी कि उस महिला ने उसका नाम थंबलीना रख दिया, क्योंकि वो अंगूठे के आकार जितनी ही थी।
उस महिला ने कहा, ” मैं तुम्हारी माँ हूँ और मैं तुम्हे बहुत ही प्यार से रखूंगी। थंबलीना भी बेहद खुश थी। वह फूलों के बिस्तर सोती और उसकी माँ उसका बहुत ही ख्याल रखती थी।
एक रोज जब वह खेल रही थी तभी एक मेंढक की नजर उस पर पड़ गयी। उसने सोचा, ” यह लड़की तो बड़ी ही खूबसूरत है। मैं अपने बेटे की शादी इससे कराऊंगा। ”
वह मेंढक थंबलीना को उठा ले गया। उसे देख मेंढक का बदसूरत लड़का बहुत ख़ुश हुआ। थंबलीना को उन्होंने पास के तालाब के एक पत्ते पर रख दिया, जहां से वो चाहकर भी भाग नहीं सकती थी और ख़ुद शादी की तैयारियो में जुट गए।
थंबलीना रोने लगी, तभी एक तितली की नजर उस पर पड़ी। उसे दया आ गयी उसने उसे उठाकर फूलों के शहर में छोड़ दिया और वह उसके लिए कुछ खाने का इंतजाम करने गयी, उतने में ही एक झींगुर ने उसे देख लिया और उसकी खूबसूरती पर फ़िदा हो गया और उसे उठा लाया।
लेकिन झींगुर के दोस्तों ने कहा, ” यह तो हमारे से बिलकुल अलग है और हमारी तरह खूबसूरत भी नहीं है। ” उनकी बातों से झींगुर का मन बदल गया और उसने थंबलीना को छोड़ दिया।
थंबलीना घर जाने का रास्ता ढूंढ़ रही थी और जंगल में भटकते-भटकते वो एक बिल के पास पहुंची। उसमें एक बूढी चुहिया रहती थी। उसने थंब्लीना को रहने की जगह दी, लेकिन उसके बदले घर के सारे काम करने को कहा। उसके साथ ही उसने एक और शर्त रखी कि चाय के समय थंबलीना को उसे और उसके पड़ोसी चूहे को कहानी भी सुनानी होगी।
इतने उसका पडोसी चूहा भी आ गया। उसे भी थंबलीना पसंद आ गयी । उस चूहे ने बुढ़िया चुहिया से कहा कि उन्हें एक नया घर देखने चलना है, तो वो थंबलीना को भी साथ लेकर चल दिए।
रास्ते में थंबलीना ने देखा कि एक चिड़िया घायल अवस्था में बेहोश पड़ी है। थंबलीना ने उसकी मदद करनी चाही, तो दोनों चूहों ने कहा कि इसे मरने दो इसकी क्या मदद करोगी।
पर थंबलीना का दिल नहीं माना। उसने चिड़िया को खाना खिलाया और पानी पिलाया। वह उसके घाव पर रोज मरहम लगाती। एक उस चूहे बुढ़िया चुहिया से कहा कि वह थंबलीना से शादी करना चाहता है, तो चुहिया बहुत खुश हुई।
थंबलीना को जब यह बात पता चली तो उसने इंकार कर दिया। लेकिन चुहिया नहीं मानी तो थंबलीना ने कहा, ” ठीक है, लेकिन मैं एक बार चिड़िया से मिलना चाहती हूँ। ”
यह कहकर वह चिड़िया से मिलने गयी। चिड़िया तब तक ठीक हो चुकी थी। थंबलीना ने उसे सारी बात बता दी। चिड़िया ने थंबलीना से कहा कि वो जल्दी से उसकी पीठ पर बैठ जाए, ताकि वो उसे यहां से दूर ले जा सके। थंबलीना ने वैसा ही किया।
चिड़िया उसे एक फूलों के देश में ले गयी। थंबलीना ने वहाँ एक सुन्दर – सा राजकुमार देखा और राजकुमार ने भी थंबलीना को देखा। दोनों एक दूसरे पर फ़िदा हो गए।
राजकुमार बड़े ही अदब से थंबलीना के पास आया और अपना परिचय दिया कि मैं इस फूलों के देश का राजकुमार हूं, क्या तुम मेरी रानी बनोगी…? थंबलीना ने शरमाते हुए हां कह दिया। दोनों की शादी हो गयी और दोनों ख़ुशी – ख़ुशी साथ में रहने लगे।
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