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    परी और सिंड्रेला की कहानी (Fairy and cinderella story) परियों की कहानियां :-


    सिंड्रेला बहुत सुन्दर और दयालु लड़की थी।  बचपन में ही उसकी माँ की मृत्यु हो गयी थी।  माँ की मृत्यु के बाद उसके पिताजी ने दूसरी शादी कर ली ।

    हालांकि वे दूसरी शादी नहीं करना चाहते थे, लेकिन उन्होंने देखा कि माँ की मृत्यु के बाद सिंड्रेला उदास रहने लगी थी।  शादी के बाद उसकी सौतेली माँ घर में आयी।

    वह सिंड्रेला को बिलकुल भी प्यार नहीं करती थी और जब उसको भी दो लड़की हो गयी तब तो सिंड्रेला के लिए मुश्किल ओर बढ़ गयी।  जल्द ही उसके पिता की भी मृत्यु हो गयी।

    सिंड्रेला की सौतेली माँ और उसकी सौतेली बहने हमेशा सिंड्रेला से चिढ़ती थीं।  वे सिंड्रेला से घर का सब काम करवाते और खाने में केवल बचा हुआ खाना देते थे।

    सिंड्रेला बहुत दुखी रहती और अपने कमरे में जाकर बहुत रोती थी।  वहाँ कुछ चूहे थे जो उसे सांत्वना देते थे।  उसके साथ खेलते और उसका मन बहलाते थे।

    इधर राज्य के राजा का लड़का युवावस्था में पहुँच गया था।  उन्हें अपने लडके के विवाह की चिंता हो रही थी।  यह सब बातें उन्होंने अपने मंत्रियों को बताई।

    मंत्रियों ने उन्हें राजमहल में एक ख़ास कार्यक्रम का आयोजन करने को कहा और उसमें राज्य के उन परिवारों जिनके घर में युवा लड़कियां थीं उनके परिवार को आमंत्रित करने का सुझाव दिया।

    राजा को सुझाव पसंद आया। पुरे राज्य में इसकी घोषणा करवाई गयी।  सिंड्रेला भी इसमें जाने के लिए उत्साहित थी, लेकिन उसकी माँ ने उसे डांटकर भगा दिया और घर के कार्य करने को कहा।
    सिंड्रेला की बहनें और उसकी माँ ने खूबसूरत कपडे पहने और राजभवन को रवाना हो गयी।  इधर सिंड्रेला बहुत फूट – फूटकर रोने लगी।  तभी अचानक से वहाँ एक परी प्रकट हुई।

    उसे देखकर सिंड्रेला हैरान रह गयी।  तब परी ने कहा, ” हैरान ना हो सिंड्रेला।  मुझे तुम्हारी माँ ने ही भेजा है।  मुझे तुम्हारे बारे में सबकुछ पता है।  अब तुम्हारी हर परेशानी ख़त्म होने वाली है। तुम भी राजभवन को जाओगी।  ”

    इसपर सिंड्रेला ने कहा, ” मेरे पास कोई अच्छे कपडे नहीं है।  ना ही अच्छी सैंडल है और अब तो काफी देर भी हो चुकी है।  ”
    परी ने मुस्कुराते हुएए अपनी छड़ी घुमाई और सिंड्रेला के फटे – पुराने कपड़े बेहद ही आकर्षक पोशाक में बदल गयी और उसकी सैंडल चमकीले शीशे की जूती में बदल गयी और उन्होंने एक खूबसूरत जादुई बग्गी का भी बंदोबस्त कर दिया, जिसमें खूबसूरत घोड़े लगे हुए थे।

    इस पर सिंड्रेला बड़ी खुश हुई और परी को धन्यवाद कहा।  तब परी ने कहा, ”  सिंड्रेला यह बात ध्यान रखना कि यह जादू रात १२ बजे तक ही काम करेगा।  तुम्हे इसके पहले ही वापस लौटना होगा।  ”

    सिंड्रेला ने एक बार फिर से परी को धन्यवाद किया और राजभवन की तरफ चल दी।  उसकी बग्गी तेज रफ़्तार से भागी और समय से वह पहुँच गयी।
    राजभवन बेहद ही खूबसूरत लग रहा था।  उसे बेहद ही आकर्षक लाइट्स से सजाया गया था।  वहाँ तरह – तरह के पकवान रखे गए थे।  सभी लोग खूब मस्ती कर रहे थे।

    जब सिंड्रेला वहाँ पहुंची तो हर कोई बस उसकी खूबसूरती को निहारता रह गया।  सबकी निगाहें सिंड्रेला पर अटक गयीं।  वह पहचान में ही नहीं आ रही थी।  यहां तक की उसकी सौतेली माँ और बहनें भी उसे पहचान नहीं पायी।

    राजकुमार ने जैसे ही सिंड्रेला को देखा उसका दीवाना हो गया।  वह पूरी पार्टी में सिर्फ सिंड्रेला के  साथ ही नृत्य  करता रहा।  सिंड्रेला बहुत प्रसन्न थी।  अचानक उसे परी की बात याद आ गयी।  उसने समय देखा बारह बजने ही वाले थे।

    वह तेजी  से वहाँ से निकली। उसके  पीछे राजकुमार भी तेजी से भागा। उसी जल्दबाज़ी में सिंड्रेला की  शीशे की  एक  जूती  उसके पैरों से निकल गयी ।  सिंड्रेला के पास उसे उठाने का समय नहीं था।  वह तेजी से भागी और वहा से अपने घर चली आयी।

    राजकुमार ने वह  जूती को रख लिया।  राजकुमार ने अपने पिताजी को सारी बात बताई और कहा, ” मैं उसी लड़की से शादी करूंगा जिसके पैर  में यह जूती आएगी।  ”

    राजा ने पूरे राज्य में अपने मंत्री और सैनिकों को भिजवाया और आदेश दिया कि, ” जिस भी लड़की के पेअर में यह जूती आये उसे पुरे सम्मान से राजमहल में लाया जाए।  ”

    राजा के मंत्री और सैनिक घर – घर में जाकर सभी युवा लड़कियों को वह जूती पहनाकर देखने लगे लेकिन वह किसी के पैर में नहीं बैठी। अंत में वह सिंड्रेला के घर आये।

    वहाँ उसकी सौतेली बहनों उसे पहनने की पूरी कोशिश की लेकिन उसके पैर में वह नहीं आयी। इसी बीच सिंड्रेला उन मंत्रियों के लिए पानी लेकर आयी।

    जब मंत्री ने सिंड्रेला को भी जूती पहनने की कोशिश करनी चाही।  तब उसकी सौतेली माँ ने कहा, ” अरे यह तो नौकरानी है।  इसे क्यों पहना रहे हो ? ”

    इस पर मंत्री ने उसे डांटा और सिंड्रेला को जूती पहनाने को कहा।  सिंड्रेला को जूती पूरी तरह से आ गयी।  सभी लोग बेहद हैरान थे। वहाँ राजकुमार ने सिंड्रेला से कहा, ” सिंड्रेला मैं तो तुम्हारा नाम भी नहीं जानता था।  बस तुम्हे देखते ही तुमसे प्यार हो गया। . क्या तुम मेरे साथ शादी करोगी ? ”

    सिंड्रेला भी उससे प्यार करने लगी थी।  उसने हाँ कह दिया और दोनों की शादी हो गयी।  दोनों ख़ुशी से रहने लगे।

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