लाल परी की कहानी (Red fairy tale) परियों की कहानियां :-
लाल परी की कहानी
रश्मि ७ साल की बच्ची थी। उसकी माँ की मृत्यु हो चुकी थी। रश्मि हर रोज अपनी दादी से परियों की कहानियां सुनती थी। उसकी सौतेली माँ उसे बिलकुल भी प्यार नहीं करती थी।
एक दिन सभी लोग पिकनिक के लिए जाते हैं। रात को रश्मि अपने पापा से कहती है, ” पापा मुझे माँ बिलकुल प्यार नहीं करती है। मैं उनका हर कहना मानती हूँ , लेकिन फिर भी वो मुझसे प्यार नहीं करती हैं। ”
रश्मि के मासूम सवालों से उसके पापा को बड़ा ही दुःख होता है और वे रश्मि को समझाते हुए कहते हैं, ” बेटा आप उनसे प्यार करते हो न तो देखना एक दिन वे भी आपसे प्यार करने लगेंगे। ”
पिकनिक के आस – पास का क्षेत्र जादुई था, और रश्मि के माता – पिता सभी इस बात से अनभिज्ञ रहते हैं। रश्मि जब अपने भाई भाई सोहन के साथ खेलती है तो उसकी सौतेली माँ उसे डांटने हुए दूर कर देती है।
रश्मि उदास होकर जंगल की तरफ चली जाती है। वह बहुत उदास थी और उसे अपनी माँ की याद भी बहुत आ रही थी। चलते – चलते जंगल में काफी अंदर तक चली गयी।
उसने वहाँ देखा एक तालाव जिसका पानी एकदम स्वच्छ है और उसके चारो तरफ रंग बिरंगे फूल खिले हुए हैं और वहा एक चमकदार रोशनी बिखरी हुई है।
वह वहाँ बैठकर कभी फूलों को निहारती तो कभी तालाव के स्वच्छ जल को। तभी एक आश्चर्यजनक घटना घटी। ५ उड़नखटोले पर पांच परियां वहा उपस्थित हुई।
उनमें से एक परी जिसने लाल रंग की पोशाक पहनी थी वह सबसे आगे थी। थोड़ी दूर आगे बढ़ने पर वे अचानक से रुक गयीं और आपस में बाते करने लगीं।
लाल परी ने कहा, ” यहां किसी मानव के होने की खुशबु आ रही है। हमें उसे ढूंढना चाहिए। ” बाकी परियों ने भी हाँ में हाँ मिलाई और ढूंढने लगे।
थोड़ी ही समय में उन्होंने रश्मि को देख लिया। रश्मि उन्हें देखते ही चौंक गयी और डरने लगी। लाल परी मुस्कुरायी और बोली, ” डरो मत, मैं लालपरी हूँ। मैं परीलोक में रहती हूँ। तुम यहां कैसे आयी ? ”
रश्मि ने पूरी बात विस्तार से बता दी। लालपरी को बहुत दुःख हुआ। उसने कहा, ” मैं तुम्हे कुछ जादुई शक्तियां दे रही हूँ। जिससे तुम मुझसे जब चाहे बात कर सकती हो और दूसरी शक्तियों से तुम लोगों की जान बचा सकती हो। यह जंगल बहुत भयानक है। यहाँ एक बड़ा सा राक्षस रहता है। उसे वरदान है कि कोई छोटी बच्ची ही उसे मार सकती है, इसलिए वह धोखे से बच्चों को मार देता है। अतः तुम्हे सावधान भी रहना होगा। ”
उसके बाद लालपरी ने रश्मि को कई सारी शक्तियां दे दी और कहा, ” अब तुम अपने घर चले जाओ। ” . रश्मि ने यात्रा सूचक यंत्र का प्रयोग किया और उसे बाहर जाने का रास्ता मिल गया।
वह थोड़ी ही आगे बढ़ी थी कि इतने में एक बाघ वहाँ आ गया। वह बहुत भूखा था। उसे देखते ही रश्मि ने माहौल को समझ लिया और उसने अपनी जादुई शक्तियों से पांच शेर प्रकट किये और वे शेर बाघ पर टूट पड़े। थोड़ी ही देर में उन्होंने बाघ को मार दिया।
कुछ समय में वह फिर से उस स्थान पर आ जाती है जहां वह अपने मम्मी – पापा के साथ ठहरी हुई थी। वहाँ पहुंचने पर रश्मि के पिता उससे पूछते हैं, ” बेटा कहाँ चली गयी थी। मैं आपको कब से ढूंढ रहा था। ”
तब रश्मि ने कहा, ” पिता जी अब हमें यहां से चलना चाहिए। यह क्षेत्र ठीक नहीं है। ”
” क्यों ? क्या हुआ ? तुम इस तरह क्यों बात कर रही हो ? ” रश्मि के पिताजी ने आश्चर्य से पूछा। तभी वहाँ अचानक से अंधेरा हो गया। अचानक हुए अँधेरे से सभी लोग भयभीत होने लगे।
तभी एक लाल रोशनी दिखाई दी और एक भयानक राक्षस प्रकट हुआ। उसे देखकर सबकी हालत खराब हो गयी। वह एक – एक कर सभी बच्चों को अपने पिजड़े में बंद करने लगा।
उसे पता था कि उसकी मृत्यु छोटे बच्चे के हाथो ही लिखी है और इसीलिए वह सभी छोटो बच्चों को मार डालना चाहता था। सभी बच्चों के माता – पिता उस राक्षस से बच्चों को छोड़ने की मिन्नत करने लगे।
लेकिन वह निर्दयी राक्षस किसी की एक नहीं सुन रहा था। अंत में रश्मि का नंबर आया। रश्मि को परियों की बात याद थी। उसने तुरंत ही उस राक्षस पर एक तेज रोशनी फेंकी।
राक्षस को धक्का लगा और वह गिर पड़ा। तभी रश्मि ने एक जादुई रोशनी से सभी बच्चों को आज़ाद करा लिया। उसकी इस जादुई शक्तियों से सभी लोग आश्चर्यचकित थे।
अब राक्षस को भी समझ आ गया था कि जिस बच्ची का उसे इन्तजार था वह रश्मि ही थी। उसने अपने कई रूप धारण करके एक साथ रश्मि पर आक्रमण किया।
तब रश्मि ने परी के द्वारा दी हुई शक्ति से रक्षा कवच तैयार कर लिया और उसके बाद उसने जादुई रोशनी से उसके रूपों को नष्ट कर दिया। इस तरह से उसकी और राक्षस की लड़ाई काफी देर तक चली।
उसके बाद रश्मि ने एक ताकतवर रोशनी का इस्तेमाल करके उस राक्षस को मार दिया। राक्षस के मरते ही वहाँ पर फिर से उजाला हो गया। सभी लोगों ने रश्मि के सम्मान में तालियां बजाई।
तभी उसकी सौतेली माँ ने उसे गले लगाते हुए बोली, ” बेटी मुझे माफ़ कर दो। आज तुमने यहां बहुत लोगों की जान बचाई है और साथ ही अपने भाई की भी जान बचाई है। मैं हमेशा तुमसे प्यार करुँगी। ”
रश्मि भी अपनी सौतेली माँ से लिपट कर रोने लगी। सभी आखों में आंसू थे लेकिन वह ख़ुशी के आंसू थे।
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