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    चूहा और मेंढक की कहानी (The Mouse And The Frog Story In Hindi) :- पंचतंत्र


    एक समय की बात है, एक चूहा और एक मेंढक बहुत अच्छे दोस्त थे। चूहा एक तालाब से कुछ ही दूर एक पेड़ के बिल में रहता था। हर सुबह मेंढक तालाब से निकलकर अपने दोस्त चूहे से मिलने जाता और दो पहर में वापस आ जाता था। 

    चूहा अपने दोस्त मेंढक के साथ समय बिताकर काफी खुश रहता था पर उसे पता नहीं था कि मेंढक धीरे-धीरे उसका दुश्मन बनता जा रहा है। इसकी बजह यह थी कि मेंढक रोज चूहे से मिलने जाता था और दूसरी तरफ चूहा कभी भी मेंढक से मिलने नहीं आता था। इस बात से मेंढक को अपमान महसूस होने लगा।

    एक दिन मेंढक को लगा कि अब वह और अपमान नहीं सहेगा और उसने चूहे को सबक सिखाने का मन बना लिया। उसने एक रस्सी का एक सिरा अपने पैर में और दूसरा सिरा चूहे के पैर में बाँध दिया और उछलते हुए तालाब की और जाने लगा।

    बेचारा चूहा भी असहाय होकर घसीटता जा रहा था। मेंढक कुछ ही देर में तालाब तक पहुँच गया और उसने तालाब में छलान लगा दी। चूहा खुदको रस्सी से आज़ाद कराने की कोशिश करने लगा और अंत में असफल होकर तालाब में डूब गया।

    कुछ ही देर में उसका बेजान शरीर ऊपर आकर तैरने लगा। तभी वहाँ गुजरता हुआ एक बाज ने तालाब में चूहे का तैरता हुआ शरीर दिखा और उसने अपने पंजे से चूहे को पकड़कर पास के एक पेड़ पर ले गया।

    मेंढक, जो की चूहे के साथ रस्सी से बँधा हुआ था वह भी चूहे के साथ-साथ बाज की पकड़ में आ चूका था। मेंढक ने खुदको रस्सी से छुड़ाने की बहुत कोशिश की पर उसकी किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया और वह बाज का शिकार हो गया।

    इस कहानी से सीख :- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें दुसरो के लिए इतना गड्ढा नहीं खोदना चाहिए कि हम खुद उसमे गिर जाएँ।


     

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