सम्राट का बीज (the Emperor seed) प्रेरक कहानी :-
यह एक प्रेरणादायक हिंदी कहानी हैं जो सिखाती है की आप अपने पर विश्वास, ईमानदारी, साहस और मेहनत के बल पर सफलता हासिल करते हैं। आइये इस कहानी “सम्राट का बीज” के माधयम से इस बात को जानते हैं।
सम्राट का बीज -- प्रेरणादायक हिंदी कहानी --(Inspirational hindi story)
बहुत समय पहले सुदूर पूर्व के माधवगण राज्य में विक्रम सिंह नाम का एक सम्राट राज्य करता था। जो अब बूढा होता जा रहा था। सम्राट की कोई संतान नहीं थी और वो इस बात को लेकर काफी चिंतित रहता था कि अपने राज्य के लिए किस योग्य व्यक्ति को अपना उत्तराधिकारी बनाये।
सम्राट अपने किसी सहायक को अपना उत्तराधिकारी बनाना नहीं चाहता था। सम्राट चाहता था की राज्य की प्रजा में से ही कोई योग्य व्यक्ति सम्राट बने। उसने इस विषय पर अपने सहयोगियों से भी चर्चा की पर उनके द्वारा दी गई राय उसे पसंद नहीं आयी। उसने कुछ अलग करने का फैसला किया।
एक दिन सम्राट ने राज्य से सभी युवाओं को अपने राजदरवार में बुलाया। सम्राट ने कहा “मैं अब बूढा हो गया हूँ , मेरे पद छोड़ने और अगले सम्राट को चुनने का समय आ गया है। मैंने यह फैसला किया है कि आप लोगों में से कोई एक राज्य का सम्राट बनेगा।”
सम्राट ने कहा “मैं आप सभी को एक एक बीज दे रहा हूँ। यह एक बहुत ही विशेष बीज है। मैं चाहता हूं कि आप घर जाएं, बीज रोपित करें, इसे पानी दें और आज से एक वर्ष बाद यहां वापस आए। मैं आप सभी के पौधों को देखूंगा और न्याय करूँगा और जिसे मैं चुनूंगा वही व्यक्ति इस राज्य का नया सम्राट होगा।
सभी लड़के उत्साह के साथ अपना अपना बीज लेकर वहां से चले गए। उन सभी लड़कों में कौशल नाम का भी एक लड़का था, जो उस दिन वहाँ था और उसने भी दूसरे लड़कों की तरह, एक बीज प्राप्त किया। कौशल अपनी माँ के साथ रहता था। उसने घर जाकर माँ को पूरी बात बताई।
कौशल की माँ ने उसे एक बर्तन दिया और मिट्टी दी। कौशल ने बीज बौ दिया और पानी दिया। हर रोज़ कौशल उस बीज को पानी देता और बार बार आकर देखता की क्या वो बड़ा हो रहा है।
तीन हफ्ते निकल गए पर कौशल के बीज से अंकुर फूटा नहीं, जबकि कुछ अन्य युवाओं ने अपने बीजों और पौधों के बारे में बातें करना शुरू कर दिया जो बढ़ने लगे थे।
कौशल घर जाकर अपने बीज की जाँच करता रहा, लेकिन बर्तन मिट्टी जो की त्यों, कभी कुछ नहीं बढ़ा। समय बीतता गया तीन सप्ताह, चार सप्ताह, पाँच सप्ताह बीत गए। अब तक कुछ भी नहीं हुआ बीज ज्यो का त्यों।
सब लोग अपने अपने पौधों के बारे में बात कर रहे थे, लेकिन कौशल के पास कोई पौधा नहीं था, वह काफी निराश था, लेकिन कौशल ने हिम्मत नहीं हारी और अपने काम में लगा रहा। छह महीने बीत गए, अभी भी कौशल के बर्तन में कुछ नहीं था। बाकी सभी के पास पेड़ और ऊंचे पौधे थे, लेकिन उसके पास कुछ भी नहीं था। हालांकि कौशल ने किसी से कुछ भी नहीं कहा वो बस अपने बीज के बढ़ने का इंतजार करता रहा।
एक साल पूरा हो गया और सम्राट को पौधे दिखाने का समय आ गया। राज्य के सभी युवा अपने पौधों को निरीक्षण के लिए सम्राट के पास ले आए। कौशल भी अपना बर्तन लेकर गया हालाँकि वो नहीं चाहता था की सम्राट के पास उस बर्तन को लेकर जाये जिसमे कोई पौधा नहीं था, पर अपने माँ के कहने पर और जो भी था उसने सोचा वो सम्राट को सब कुछ बतायेगा उसके बाद सम्राट सजा भी दें तो मंज़ूर है। यह सोच वह अपना खाली बर्तन महल में ले गया।
जब कौशल महल पंहुचा, तो वह अन्य सभी युवाओं द्वारा उगाए गए पौधों की विविधता पर आश्चर्यचकित था। वह सभी सुन्दर और आकारों में बड़े थे। जब कौशल ने अपना बर्तन फर्श पर रखा जो सभी लोग उसका मज़ाक उड़ने लगे। कुछ लोगों ने उसको हमदर्दी दिखाते हुए कहा कोई बात नहीं लेकिन तुमको अच्छा करना चाहियें था।
सम्राट विक्रम सिंह दरवार पहुंचे और उन्होंने सभी युवाओं का अभिवादन किया और सभी के पौधों का को देखकर कहा “आपने कौन से महान पौधे, पेड़ और फूल उगाये हैं, आज, आप में से एक को अगला सम्राट नियुक्त किया जाएगा!”
सभी युवा उत्साहित थे, सम्राट की नज़र कौशल और उसे बर्तन पर पड़ी जो अपने आप को छुपाने की कोशिश कर रहा था। सम्राट ने अपने सिपाहियों से कौशल को लाने के लिए कहा। कौशल घबरा गया और सोचने लगा सम्राट उसके असफलता पर ज़रूर उसे सजा देंगे।
जब कौशल सामने आ गया, तो सम्राट ने उसका नाम पूछा। “मेरा नाम कौशल है,” उसने जवाब दिया। सभी लड़के हंस रहे थे और उसका मजाक उड़ा रहे थे। सम्राट ने सभी को शांत होने के लिए कहा। उन्होंने कौशल को देखा, और फिर भीड़ के सामने घोषणा की, “अपने नए सम्राट से मिलिए ! इनका नाम कौशल है!” कौशल इस पर विश्वास नहीं कर पा रहा था ।
सभी सोच रहें थे, कौशल अपना बीज भी विकसित नहीं कर सका। वह नया सम्राट कैसे हो सकता है ? सम्राट ने कहा, “आज से एक साल पहले, मैंने यहां सभी को एक एक बीज दिया था। मैंने आप सभी से कहा था कि बीज ले जाओ, इसे लगाओ, इसे पानी दो, और आज इसे मेरे पास वापस लाओ।
लेकिन मैंने आपको सभी उबले हुए बीज दिए थे जो अंकुरित हो ही नहीं सकते। कौशल को छोड़कर आप सभी मेरे लिए पेड़ और पौधे और फूल लाए हैं। कुछ लड़के जो नहीं आये वो ईमानदार थे पर उन्होंने हिम्मत नहीं की आने की। जब आपको पता चला कि बीज नहीं उगा, तो मैंने आपको जो बीज दिया उसके बदले अपने दूसरा बीज लगा दिया। कौशल ही साहसी और ईमानदारी है। इसलिए नया सम्राट वही होगा।
दोस्तों इस कहानी से हमे सिख मिलती है की ,, - ‘किस्मत मौका देती है पर मेहनत, ईमानदारी और साहस चौंका देती है। अपने आप पर विश्वास, ईमानदारी, साहस और मेहनत के बल पर आप कभी असफल नहीं होंगे, क्योंकि किस्मत भी उनका साथ देते हैं जिनके कर्म अच्छे होते हैं।
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