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    नन्ही परी (little fairy) परियो की कहानियां :-


    नन्ही परी की कहानी नन्ही परी बहुत ही सुन्दर, दयालु और चंचल थी।  वह लोगों की मदद करती थी।  वह बच्चों की बहुत मदद करती थी।  वह बच्चो के साथ खूब मस्ती भी करती।

    नन्ही परी के पास एक जादुई छड़ी और उड़नखटोला था।  वह उस जादुई छड़ी से जो चाहती वह कर सकती थी और उड़नखटोले से एक जगह से दूसरी जगह तेजी से आ – जा सकती थी।

    एक नन्ही परी एक झील किनारे उड़ रही थी।  उसने देखा वहाँ एक लड़का उदास बैठा था।  नन्ही परी उसके पास गयी और उससे पूछा, ” क्या हुआ ? उदास क्यों बैठे हो ? मुझे बताओ।  मैं तुम्हारी सहायता करुँगी।  ”

    बच्चे ने कहा, ” मेरा नाम नाम पंकज है। मैं अपने भाई – बहन के साथ नानी के घर पर आया था।  वहाँ से उनके साथ यहां खेलने आया था।  मैं यहां रूककर मछलियों की अटखेलियां देखने लगा, इतने में वे आगे चले गए।  अब मुझे आगे का रास्ता पता नहीं है।  मैं घर कैसे जाऊंगा ? अगर मैं देर से घर पहुंचूंगा तब भी लोग मुझे चिढ़ाएँगे।  अब बताओ मैं क्या करूँ ? ”

    # बस इतनी सी बात।  मैं तुम्हे तुम्हारे घर पहुंचा दूंगी ” नन्ही परी ने कहा। उसके बाद नन्ही परी ने पंकज को वहीँ रुकने का इशारा करते हुए थोड़ी ऊंचाई पर गयी और उसके बाद आकर बोली, ” क्या तुम्हारे भाई ने नीली पेंट और सफ़ेद शर्त और बहन ने गुलाबी फ्राक पहनी है।  ”

    पंकज खुश होते बोला, ” हाँ उन्होंने यही ड्रेस पहनी है।  लेकिन तुम्हे कैसे पता ? क्या तुम उन्हें देख रही हो ? मुझे भी दिखाओ।  ” नन्ही परी ने मुस्कुराते हुए उड़नखटोला नीचे किया और उस पर पंकज को बिठा कर थोड़ी ऊंचाई पर ले गयी।

    पंकज ने देखा उसके भाई – बहन उसे ही चारो तरफ ढूंढ रहे थे।  पंकज को बहुत बुरा लग रहा था।  उसने नन्ही परी को अपने भाई – बहन तक ले चलने को कहा।

    नन्ही परी ने पंकज को उड़नखटोले पर बैठा लिया और  दोनों पल भर में ही उस  स्थान पर आ पहुंचे जहां पर  पंकज के  भाई – बहन थे।  पंकज  ने उन्हें सॉरी कहा।

    सभी भूख  और प्यास से परेशान थे।  नन्ही परी ने अपनी जादुई छड़ी घुमाई और पल भर में ही गुलाब जामुन, बर्फी, नमकीन, समोसे आदि आ गए।  सबने भर पेट नाश्ता किया और उसके बाद परी ने पानी भी मंगाया।  उसके बाद सबने खूब मस्ती की।

    परी उन्हे आसमान में ले गयी, बादलों के बीच तो कभी खूबसूरत बागीचों में ले गयी।  उसके सबने अंताक्षरी भी खेली।  अब शाम हो चली थी।  नन्ही परीने फिर से उड़नखटोला बुलाया और सभी उसपर बैठकर पंकज के नाना घर की तरफ चल दिए ।

    कुछ ही देर में वे घर पहुँच गए।  नन्ही परी ने उन्हें आँगन में उतार दिया।  घर पहुँच बच्चे बहुत खुश थे।  अब जब भी मन होता वे परी को बुलाते और उसके साथ खूब मौज मस्ती करते।

    समय बीता।  एक दिन पंकज अपने मामा के साथ मार्केट जा रहा था।  तभी उसने कुछ छोटे बच्चों को भीख माँगते हुए देखा।  उसे बहुत बुरा लग रहा था।

    उसने अपने मामा से कहा, ” क्या इनके माँ – बाप इन्हे नहीं पढ़ाते हैं ? ” तब उसके मामा ने कहा, ” यह गरीब होते हैं।  इन्हे किसी तरह से भोजन मिल पाता है।  ”

    यह सुनकर पंकज बड़ा दुखी हुआ।  उसने शाम को ययह बात नन्ही परी को बतायी।  नन्ही परी ने कहा, ” उन बच्चों को हम पढ़ाएंगे।  उन्हें हम बुक्स देंगे।  ”

    इसके बाद पंकज ने यह बात अपने मामा को बतायी।  उसके मामा बहुत खुश हुए।  उन्होंने एक एन जी ओ से संपर्क किया।  उन्होंने गरीब बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा लिया।

    उसके बाद नन्ही परी की मदद से पंकज और उसके मामा ने ढेर सारे बुक्स और कलम और कुछ पैसे एन जी ओ को। दिए  उन्होंने उन बच्चों को पढ़ाना शुरू किया।

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